मन के उद्गार (अग्रजा के लिए)
आद. प्रवीणा त्रिवेदी ‘प्रज्ञा’ दी’ के बारे में मेरे मन के उद्गार:-
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पूज्य अग्रजा प्रवीणा, रचती काव्य महान।
शिक्षण से हैं बांटती, जग में अनुपम ज्ञान।।१।।
दिल्ली में रहवास है, ऐटा में है ग्राम।
काव्य छंद सिरमौर हैं, प्रज्ञा है उपनाम।।२।।
लेखन शैली गजब की,शब्द से फुटे बोल।
इन्हें पढ़ें मन नाचता, भाव बजाये ढोल।।३।।
शब्द शब्द हैं बोलते, इनके मन की बात।
रग – रग में साहित्य है, लेखक इनके तात।।४।।
वाणी जैसे कोकिला, निर्मल शुद्ध विचार।
स्नेहमयी है अग्रजा, सुंदर सद् व्यवहार।।५।।
माँ काली से कामना, करता हूँ हरहाल।
दीर्घायु हों स्वस्थ रहें, सदा रहें खुशहाल।।६।।
✍️पंख.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
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