“मन की सिलवटें “
ये जो मन की सिलवटें हैं ,
कई स्वप्न वहीं पड़े हैं ,
ये सीपी-सीपी से मन है ,
और मोती-मोती से स्वप्न |
ये जो ज़िंदगी की उलझनें हैं ,
कई दर्द बिखरे पड़े हैं ,
सीलन -सीलन सा जीवन है ,
और शिला -शिला से दर्द |
ये जो दिल की धड़कनें हैं ,
साँसों की सरगम को सुने हैं ,
खंड -खंड सा ये दिल है ,
और छिन्न -भिन्न से सरगम ||
…निधि…