*मन की सभी मलिनताओं का, होता हल संवाद है (हिंदी गजल)*
मन की सभी मलिनताओं का, होता हल संवाद है (हिंदी गजल)
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1)
मन की सभी मलिनताओं का, होता हल संवाद है
पहले वार्ता उचित कदम है, रण फिर उसके बाद है
2)
बढ़ते-बढ़ते जीवन पथ पर, राजा भले बनो तुम
श्रेष्ठ वही जो बालसखा को, रखता हरदम याद है
3)
ढोल-नगाड़ों में क्या रक्खा, यह सारे आडंबर
अद्भुत केवल एक हृदय के, भीतर उठता नाद है
4)
अहित किसी का करना केवल, मन का ज्वर ही जानो
सौ रोगों में रोग हमेशा, घातकतम उन्माद है
5)
असली सबक सदा जीवन में, है प्रतिकूल परिस्थिति
कटा-छिला-निखरा हीरा जब, मिलता उसे खराद है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451