हाथी के दांत
हाथी के दांत
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हिन्दी दिवस पर विधानसभा में व्याख्यान हेतु डॉ. राघवेंद्र जी को आमंत्रित किया गया था। वे दुनियाभर के विश्वविद्यालयों में गेस्ट लेक्चरर के रूप में व्याख्यान देते रहे हैं। उनकी व्याख्यान सुनकर लोग भावविभोर हो जाते हैं।
आज भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनकी “हिन्दी की गौरवशाली अतीत और उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएं” विषय पर आधारित व्याख्यान विधानसभा में उपस्थित सभी विधायक, अधिकारी, पत्रकार एवं अन्य आमंत्रित लोग मंत्रमुग्ध हो सुनने लगे।
अपनी पी-एच.डी. के लिए मैंने उनसे साक्षात्कार के लिए समय मांगा, तो उन्होंने शाम को 8 बजे राजकीय अतिथि गृह में बुला लिया।
नियत समय पर मैं वहाँ पहुँच गया।
औपचारिक अभिवादन के बाद उन्होंने कहा, “देखो ब्रदर, अच्छी क्वालिटी की इंटरव्यू लेना है तो पहले ही बता देता हूँ कि मैं दिल की बात अच्छे से अँग्रेजी में ही बोल सकता हूँ। हाँ, तुम मुझसे हिन्दी में क्वेश्चन कर सकते हो।”
“माफी चाहता हूँ महोदय, मैं अँग्रेजी नहीं जानता। इजाजत दीजिए मुझे। शुभ रात्रि।” मैं बिना समय गँवाए लौट आया।
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डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़