मन की पीड़ा
मन की पीड़ा
मन के भीतर
मूक सी है
कैसी जीवन में
जीवन की
भूख सी है
कोमल मन में,
मन की पीड़ा
भाव समाहित
ह्रदय में खिली
कोई धूप सी है
रिश्तों में विफलता
संबंधों की
चूक सी है ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
मन की पीड़ा
मन के भीतर
मूक सी है
कैसी जीवन में
जीवन की
भूख सी है
कोमल मन में,
मन की पीड़ा
भाव समाहित
ह्रदय में खिली
कोई धूप सी है
रिश्तों में विफलता
संबंधों की
चूक सी है ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद