मन की आवाज
कहानी (लघु कथा)
मन की आवाज
मन की आवाज सुनी पर जुबाँ से कह न पाए..
इज़हार-ए-इश्क़ करने में बहुत देर कर गए..
आकृति और विक्रांत बचपन के अच्छे दोस्त
थे, पड़ना लिखना खेलना कूदना घुमना फिरना
सब साथ साथ ही करते थे…
पर वो मुहब्बत से अंजान थे,उनको भी पता न था
की वो एक दूसरे को पसन्द करने लगे है।
ये दोस्ती नहीं थी बल्कि उससे भी बढ़ कर एक रिश्ता प्यार का बन गया था।
कहते है न की एक लड़का और लड़की कभी
दोस्त नहीं बन सकते कुछ इस प्रकार ही..
अक्सर लड़का हो या लड़की जब दोस्त बनते
है फिर प्यार हो जाता है,पर इस दोस्ती को पाक
रखने के लिए किसी न किसी को अपने मन की
आवाज को दफ़न करना ही पड़ता है।
कही ये दोस्ती भी बर्बाद न हो जायें
यही सोच कर…
दोस्ती करना आसान है पर दोस्ती के बाद प्यार हो
जाये तो क्या करना है,कैसे उन्हें अपने मन की बात कहूं,कही वो गलत न समझे..ऐसे ढेरों सवाल के बुलबुले मन की आवाज के रूप में उठने लगते है और मन बेचैन हो उठता है , फिर अपने इस मन रूपी आवाज का गला दबा कर दोस्ती को प्रथम
स्थान देना पड़ता है क्यू की पहले दोस्त ही थे ,ये रिश्ता ही सब के जीवन में अहम होता है…
आज ये कहानी इसी पर है…
तो आकृति को विक्रांत से प्यार हो गया था पर वो कभी कह ही नही पाई..कही वो नाराज न हो जाये या उसे कोई और पसन्द हो आकृति को नहीं पता की विक्रांत के दिल में क्या है..समय बीत रहा था
और आकृति शादी के योग्य हो गई थी,अधिकांश
लड़की की शादी 20 से 25 उम्र तक हो ही जाती है। तो उसकी शादी तय हो गई वो माँ पापा से कह
भी नहीं सकती थी क्यू की उसे विक्रांत के मन में
क्या है वो नहीं जानती थी …
शादी तो हो गई आकृति की और वो अपने मन की आवाज सुन कर भी ना सुन पाई …
शादी हो गई बच्चे हो गए..
और
दूसरी तरफ विक्रांत भी जो आकृति से प्यार करता था वो भी अपने मन की आवाज को दफ़न कर जी
रहा था पर उसने शादी नहीं की…
न ही कभी बात की आकृति से
न आकृति ने कभी विक्रांत को कॉन्टेक्ट किया
और तो और वो इस शहर में रहता भी नहीं था उसने अपना नॉबर भी बदल दिया था….
12 साल बाद जब एक रोज वो अपने घर आया तो
वो आकृति को देखा उसके मन में ढेरों सवाल आने लगे वो बिल्कुल ही गुगे की तरह हो गया एक स्तम्भ
की तरह एक जगह खड़ा रहा. और थोड़ी देर बात
जब आकृति ने पूछा कैसा है विक्रांत तो उसने सर हिला कर कहा ठीक हूं और पूछा ये क्या हुआ तुम
सफेद साड़ी क्यू पहन रखी हो.क्या हुआ है..
तो आकृति ने कहा कार एक्सीडेंट में मेरे पति का
इंतिक़ाल हो गया..
अफ़सोस जाहिर किया विक्रांत ने और किस्मत का
करिश्मा देखो कुछ साल बाद दोने ने शादी कर ली
इस बार विक्रांत ने अपने मन की आवाज सुनी और
उसे शादी करने का प्रताव रखा सब मान गए पर आकृति ने कहा सब ठीक है पर अपने बेटे जीवन
से पुछु तब ही हां होगी…उसका बेटा 8 साल का था
उसने भी हा कर दी …
दोनों आज ख़ुशी से जीवन जी रहे है…
स्वरचित
प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला-महासमुन्द (छःग)
14/अगस्त / 2021 शनिवार