*मन की आवाज़*
तुम मन की आवाज़ सुनो
तुम मन……………….।।
जीवित हों, ना मृतक बनो,
बीतें लम्हे, ना याद करो,
वर्तमान की बात करो।
उद्देश्य ना, राह बदलों
कुछ समझ ना आए
तो प्रभु का ध्यान करो।
तुम मन की आवाज़ सुनो
तुम मन……………….।।
आराम नहीं कुछ काम करो ,
जीवन के मक़सद को साकार करो
साहस ना खोकर बैठना किसी मोड़ पर
वीरों जैसा इतिहास रचो ।
तुम मन की आवाज़ सुनो
तुम मन……………….।।
मी मी ना कर ,शेर ज़ैसी धहाड़ भरो
होगी परीक्षा हर मोड़ पर
ज़िन्दगी की एक नयी शुरूआत करो।
तुम मन की आवाज़ सुनो
तुम मन……………….।।
पक्षी जैसे पंख फैलाकर
गिद्द जैसी उड़ान भरो
आवाज़ हों , ना गूँगा बनो
हर समस्या का समाधान करो
तुम मन की आवाज़ सुनो
तुम मन……………….।।
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रचनाकार – 😇 डॉ० वैशाली ✍🏻