मन का मीत
मन का मीत
विधाता छंद/ मुक्तक
तुम मेरे मन का उजास, हृदय मेरे की प्यास हो
नैनो के दर्पण हो प्रिय, मन का मेरे प्रकाश हो।
यौवन देह पर छा रहा, छाती बसंत बहार है
तड़फे मीन उर अन्तरे, पपीहा करता पुकार है।
बुहारे पलक पथ तेरा, अब मिलने की आशा रे
निंदिया नैनों में न रही, हुआ भीतर उदासा रे।
तपन विरह सही न जाए, हिय सुलगे अंगारा रे
चमक चांदनी आ जाओ, हृदय हुआ मतवारा रे ।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर ( हि० प्र०)