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18 Sep 2019 · 1 min read

मन और बच्चा

कह रहा है दिल में छुप के बैठा इक बच्चा कोई

नौकरी से ही क्या ये मन सिर्फ है भरता कोई।

अब पढ़ाई, खेल सब ही फोन पर होने लगे

है खिलौने वो कहाँ अब है कहाँ बस्ता कोई।

मुद्दतों से सुन रहा है झूठ के अफसाने दिल।

कह रहा जग में नहीं मिल पा रहा सच्चा कोई।

फुरसतों में दिन पुराने याद आ ही जाते हैं

उन दिनों की भीड़ में से अब नहीं दिखता कोई।

आज से,अब से “कमल” बदलाव कर लो कुछ ज़रा।

रोज ही जाने कहाँ से मन में ये कहता कोई।

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