मन्नत के धागे
पूजा- पाठ ,धर्म – करम,
भारतीय संस्कृति में परम।
श्रद्धा-विश्वास, आस्था- अनुष्ठान,
दिलाते हमें अलग ही पहचान ।
विश्वास की चरमपराकाष्ठा है मन्नत के धागे,
अपनों की तरक्की के लिए पूर्ण आस्था से बाँधे।
एक विश्वास चलता संग संग,
मनोकामना पूर्ण होगी लाएगी रंग।
हर धर्म ,हर जाति में मन्नत मांगी जाती है,
मन्नत की पूर्ति के लिए प्रभु से आस की जाती है।
पीपल या वट वृक्ष पर बंँधे धागे हैं आस्था के प्रतीक,
कहीं पुत्र प्राप्ति कहीं नौकरी, पाने के आसीस।
मन्नत पूरी होने पर फिर से जाया जाता है,
माथा टेक प्रभु को श्रद्धा पुष्प चढ़ाया जाता है।
यह मन्नत ,यह मान्यताएँ, हैं हमारी संस्कृति की धरोहर,
कहीं तेल चढ़े तो कहीं घोड़ों का अर्पण।
शक्तिपीठ भद्रकाली मेरी आस्था का सबसे बड़ा मंदिर,
मन्नत पूरी होने पर मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं अंदर।
कुरुक्षेत्र का यह मंदिर शनिवार दिन है खास,
अपनी श्रद्धा से चढ़ावा चढ़ा मन्नत का धागा बांधा जाता।
नीरजा शर्मा