मनोरम छंद
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!! श्रीं !!
सुप्रभात ! जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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मनोरम छंद – मापनीयुक्त मात्रिक
मापनी- 2122 2122
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कर्म ऐसे कुछ करें हम ।
आँख कोई हो नहीं नम ।।
ज्ञान को विस्तार दे दें ।
भाव को आकार दे दें ।।
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शारदा माता हमारी ।
छेड़ती धुन-तान प्यारी ।।
आज माँ को हम मना लें ।
हार छंदों के बना लें ।।
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भाव से गुलशन सजाओ ।
फूल छंदों के खिलाओ ।।
आज दिल से दिल मिला दें ।
प्यार का प्याला पिला दें ।।
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संग तेरे क्या चलेगा ।
हर कदम तुझको छलेगा ।।
सोच करके कर्म करना ।
पीर अपनी आप हरना ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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