मनोकामनी
इक अहसास मनोकामनी साथ🌹
खूबसूरत सी थी छटा
महकती मनोकामनी
भरपूर फूलों से
लदी ,पूरे
उन्मादमें
सुगंध बिखेरती
बरबस अपनी ओर
आकर्षित करता
चांद
आस पास
संतरी बन टिमटिमाते
तारे ,मानों कह रहे
हों कि चांद
का दीदार
करनें से पहले
हमसब से
आंख मिचोली
खेलो
मैं अनायास ही
उस सुरमई सुगंध से
वशीभूत हुई
झट आ
पहुंची गमकतेगलियारे
में ,ना जानें
कितनें ख्वाब
आंखों संग
ताने बाने बुनने
लगे,शायद
ये सुगंध कुछ
पहचानी लगी
अरे! हां
तुमनें ही तो
कली खिलनें पर
शायद
महकनें का अहसास
कराया था
आज भी याद
है,वो सुगंध
वाले हाथ
और वो अहसास
मनोकामनी
के साथ
कुमुद श्रीवास्तव( वर्मा)