मनुष्य तू बड़ा महान है
मनुष्य तू बड़ा महान तू सब गुणों की खान है
तू जो चाहे पर्वतों को तोड़ नदियों के रूख को मोड़ दे
अम्बर से उड़ान भर पाताल तक खोज करें
तेरी ही मुट्ठियों में बन्द यहा वेग हैं
तेरी ही क्षमता के बल पर पतवार चली
हर सम्भव प्रयास तेरे यहां विपदा टली
आज मार्ग से भटक गया है
अपने ही भंवर में अटक गया है
क्या काम किया नियम विरुद्ध
जो धरती मां को खटक गया है
जीवन के मूल्यों को पहचान
न करना कभी निराश मन
बन जा अधीर डटकर वीर
बाधा से पार चले वही परमवीर
मन के द्वार खोल दे
तारो को झकझोर कर
मलिनता धोकर देष छोड़
अपने कर्म को जान कर
कर प्रयास त्याग कर अभिमान
जरा तू खुद को पहचान
मनुष्य तू बड़ा महान है तू सब गुणों की खान है