मनुष्य की सच्चाई
आज फिर से आप सब के बीच एक कविता मेरे द्वारा रचित?
? मनुष्य की सच्चाई?
स्वार्थ से प्रेरित यह तन तेरा
स्वार्थ में ही रह जायेगा।
जोर लगाओ लाख तुम
पर पीछे ही रह जायेगा।।
अहंकार से प्रेरित यह तन तेरा
अहंकार में ही रह जायेगा।
रहने के लिए महल तो होंगे
पर परिवार नही रह पाएगा।।
ईर्ष्या से प्रेरित यह तन तेरा
ईर्ष्या में ही रह जायेगा।
सफलता उसकी कदम चूमेगी
तू जल के राख हो जाएगा।।
लोभ से प्रेरित यह तन तेरा
लोभ में ही रह जायेगा।
अरबो रुपये होंगे तेरे पास
पर एक पाई भी काम न आएगा।।
जीवन की परिभाषा तुमको
समझ कभी न आएगा।
हाय-हाय में निकली जिंदगी
फिर मिट्टी में तू मिल जाएगा।।
लेखक- कुमार अनु ओझा