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19 Mar 2022 · 1 min read

मनुष्य की विवशता

मनुष्य न वांछता,
गलत कर्म करना है,
विवशता मे आकर ही,
कर धसकता गलत कर्म है।

जब पड़ता घर मे आकाल है,
ना अवलोकन रिंचते है मनुष्य,
इस परिप्रेक्ष्य में मनुष्य,
विवशता का मृग्या बन,
कर धसकता भद्दा दुष्कर्म है।

जो मनुष्य विवशता में भी,
लेता धैर्य से काम है,
अपनी विवशता को अबेरा,
जिसने अपने अच्छे कर्मों से,
वही मनुष्य जीवन में,
चढ़ता सफलता की सीढ़ियाँ है।

अपनों को खुशी देने को,
विवशता में कभी-कभी मनुष्य,
अपने गलत कर्मों से,
रेहा लेता दूसरे के खुशियों को,
क्या मिलता उस खुशी से,
जिसमे अभिशाप की भरमार हो।

लेखक :- उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार

Language: Hindi
165 Views
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