Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2021 · 1 min read

मनुष्य की क्षमता ️

मनुष्य की क्षमता कितनी है कोई बताएं।?
जो चाहें अगर तो जमीन को स्वर्ग बनाएं।?
वतन की सुरक्षा में हैं मर मिट जाएं।?‍✈️
मनुष्य की असीम छमताओ को बताएं।?‍?
जहा कोई ना पहुंचा हों वहां पहुंच के दिखाएं।?
खुशहाली भरा इस संसार को बनाएं।?
गहरे अध्ययन में डूबकर दूसरों को उबारे।?‍?
जन्म से मृत्यु तक जो चाहें कर जाएं।?
बंजर जमीन से ये सोना उगलवाएं।?️
आसमा में भी पक्षियों सा उड़ जाएं।?️
पर्वतों को चीरकर रास्ता हैं बनाएं।?️
जुनून और उत्साह से भरा संसार बनाएं।?
एकाग्रता की शक्ति संसार को दिखाए।?
ईमानदारी का प्रत्यक्ष उदहारण बन जाएं।?
असंभावनाओ में संभावनाओं का दीप जलाएं।?
एकता हो जहा ऐसा देश, राज्य ये बनाएं।?
आलस्य रूपी शत्रु को दूर ये भगाएं।?
मन के विचारों को साकार कर दिखाएं।।?

Language: Hindi
2 Likes · 309 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

उम्र के पन्नों पर....
उम्र के पन्नों पर....
sushil sarna
ये  बेरुखी  अच्छी  नहीं  बातें  करो।
ये बेरुखी अच्छी नहीं बातें करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दो शब्द सही
दो शब्द सही
Dr fauzia Naseem shad
!! नववर्ष नैवेद्यम !!
!! नववर्ष नैवेद्यम !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
शायद ये सांसे सिसक रही है
शायद ये सांसे सिसक रही है
Ram Krishan Rastogi
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
गीतिका
गीतिका
अनिल कुमार निश्छल
मिस इंडिया
मिस इंडिया
Shashi Mahajan
जो भगवान श्रीकृष्ण अपने उपदेश में
जो भगवान श्रीकृष्ण अपने उपदेश में "धर्मसंस्थापनार्थाय संभवाम
गुमनाम 'बाबा'
मययस्सर रात है रोशन
मययस्सर रात है रोशन
कवि दीपक बवेजा
बिटिया बड़ी हो गई
बिटिया बड़ी हो गई
Deepesh Dwivedi
विजय या मन की हार
विजय या मन की हार
Satish Srijan
क़ुर्बान ज़िंदगी
क़ुर्बान ज़िंदगी
Shyam Sundar Subramanian
इक उम्र जो मैंने बड़ी सादगी भरी गुजारी है,
इक उम्र जो मैंने बड़ी सादगी भरी गुजारी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
स्त्री नख से शिख तक सुन्दर होती है...
स्त्री नख से शिख तक सुन्दर होती है...
पूर्वार्थ
राम
राम
Suraj Mehra
#निरंकुशता-
#निरंकुशता-
*प्रणय*
शबरी की भक्ति
शबरी की भक्ति
Indu Nandal
जो सबका हों जाए, वह हम नहीं
जो सबका हों जाए, वह हम नहीं
Chandra Kanta Shaw
एहसासे- नमी (कविता)
एहसासे- नमी (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
DrLakshman Jha Parimal
मसला ये नहीं कि कोई कविता लिखूं ,
मसला ये नहीं कि कोई कविता लिखूं ,
Manju sagar
पहाड़ की पगडंडी
पहाड़ की पगडंडी
सुशील भारती
*दिल के सारे राज खोलूँ*
*दिल के सारे राज खोलूँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अमर शहीद स्वामी श्रद्धानंद
अमर शहीद स्वामी श्रद्धानंद
कवि रमेशराज
राज छोड़ बनवास में आया था मेरे साथ में
राज छोड़ बनवास में आया था मेरे साथ में
Baldev Chauhan
जब तक लहू बहे रग- रग में
जब तक लहू बहे रग- रग में
शायर देव मेहरानियां
*बचकर रहिएगा सॉंपों से, यह आस्तीन में रहते हैं (राधेश्यामी छंद
*बचकर रहिएगा सॉंपों से, यह आस्तीन में रहते हैं (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
चाहे हो शह मात परिंदे..!
चाहे हो शह मात परिंदे..!
पंकज परिंदा
माँ की करते हम भक्ति,  माँ कि शक्ति अपार
माँ की करते हम भक्ति, माँ कि शक्ति अपार
Anil chobisa
Loading...