मनुवादी व्यवस्था
जाति और वर्ण का
क्या औचित्य है?
इसी ने हमारा
सत्यानाश किया है!
कुल और गोत्र का
क्या औचित्य है?
इसी ने हमसे
भितरघात किया है!!
कर्मकांडों का
यह जाल क्या
हमारी चेतना को
मुक्त होने देगा?
लग्न और मुहूर्त का
क्या औचित्य है?
इसी ने हमारा
सर्वनाश किया है!!
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