मना है
हसीनों का दबदबा
मेरे दिल पर
कुछ इस तरह बना है।
जो भी देखो
बेरोकटोक
बिल्कुल बेखौफ
बिंदास
चली आती है,
मानों मेरा दिल
इन्हीं के लिए बना है।
इनकी वक़्त बेवक़्त
चहलकदमी
दिल दुखाती है।
इनकी हसीन गुस्ताखियों से
बेचारे दिल की
जान पर बन आती है।
धड़कनों के घर में
माहौल अजब गजब
अनजाना बना है।
दीवाना
अपने ही शहर में
बेगाना बना है।
यही हाल रहा
तो शायद मुझको
लिखना होगा
अपने सीने पर
” बिना आज्ञा
अंदर आना मना है”।
संजय नारायण