मनाओ मातु अंबे को
गुरु वार -२०/१०/२३
आधार छंद -विधाता
समांत -आन,पदांत -से पहले
मनाओ मातु अंबे को,किसी भी गान से पहले।।
रचो कुछ छंद ऐसा तुम ,अमुक पहचान से पहले।।(१)
करो बर्बाद मत ना तुम,गुजारो मत इसे यों ही ,
करो कुछ कर्म अच्छे तुम,बदन अवसान से पहले।(२)
बुजुर्गौ का सदा कहना , अतिथि तो देवता होता,
नहीं करते कभी भोजन, किसी महमान से पहले।(३)
हमारी है यही संस्कृति, पड़े जब भी मुसीबत आ,
बचाते हैं बुजुर्गों को, स्वयं की जान से पहले ।(४)
अटल को कर रहीं घायल, जमाने की यही बातें,
करे क्या वो बताओ तुम, किसी अभियान न से पहले।
अटल मुरादाबादी
९६५०२९११०८