मनरेगा का अर्थ शास्त्र!!
सौ दिन का है काम, मनरेगा है नाम,
खर्च का ब्यौरा, एक दिन का,
टमाटर सब्जी पर रुपए बीस, दूध-दही पर खर्च होते तीस,
दाल तेल नमक मिर्च मसाले,आटा, चावल पर पच्चास डाले,
दिन एक और खर्चा सौ,
फिर दो सौ पैंसठ दिन का क्या हो।
कैसे चले घर का पहिया,
जब जेब में ना हों नौट रुपया,
तब घर की दुलारी काम को जाती,
जूठे बर्तन झाड़ू पोंछा,
सिर पर टोकरी,हाथ में गैंती बेलचा,
जो भी मिलता वह जूट जाती,
घर का चुल्हा तब जलाती।
मनरेगा में दिन हैं सौ,
दो सौ पैंसठ दिन का फिर क्या हो,
दूख, बिमारी, और लाचारी,
बच्चों पर पड़ती है भारी,
कैसे पढ़ें, कैसे बढ़ें,
किसकी है यह जिम्मेदारी।
तीन सौ पैंसठ दिन साल में,
महिना एक विश्राम काट दें,
दो सौ पैंसठ दिन काम मिले,
एक माह का बोनस इनाम मिले,
बारह हजार में नहीं चलता खर्चा,
अडतालीस हजार रुपए हो अपना हिस्सा।
दिन सौ का नहीं,चार सौ दिन का दाम मिले,
मनरेगा से ही हर काम चले,
जौब कार्ड से हों काम सारे,
बैंक खाते में में मिलें पारिश्रमिक हमारे,
हक से मांगो यह हक है हमारा,
मनरेगा के अंतर्गत हो काम सारा।।
यह कविता मैंने अपने प्रधान पद पर रहते हुए लिखी थी, और उसे जिले के पंचायत राज अधिकारी को सौंप कर अग्रसारित करने का आग्रह किया था। कुछ दिनों के उपरांत मेरा कार्यकाल समाप्त हो गया, और फिर मैंने मनरेगा पर आयोजित एक कार्यशाला में प्रतिभाग करते प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों को सौंप कर पुनः इसे व्यापक परिप्रेक्ष्य में लागू करने को कहा था, लेकिन उनके द्वारा भी इसकी उपेक्षा ही की गई।
मेरा सुझाव था कि पंचायत के अंतर्गत जो भी काम हों, जैसे सांसद निधि, विधायक निधि, जिला पंचायत निधि, क्षेत्र पंचायत
निधि, तथा विकास के विभागीय कार्य, मनरेगा में पंजीकृत श्रमिकों से कराते जाएं, तो साल भर में लगभग दो सौ दिन से अधिक काम हर उस व्यक्ति को मिले जिसने पंजीकरण कराया है
इसके साथ गांवों में होने वाले वह कार्य जो विभागों को लक्ष्य हासिल करने को दिए जाते हैं, में सहायक के पद पर गांव में शिक्षित नव युवकों से मनरेगा में शामिल करके कराएं,जिन पाठशालाओं में अध्यापक की कमी है उनमें सह अध्यापक के पद पर भी मनरेगा में पंजीकृत शिक्षित बेरैजगारों से शिक्षण कार्य कराने का कार्य लिया जा सकता है, अन्य कार्यों में विद्युत आपूर्ति, पेयजल,स्वास्थय सहायक,वनाग्नि से बचाने के लिए,मद्यनिषेद में सहायक आदि अनेक कार्य जो सिर्फ लक्ष्य पूर्ति के लिए गलत आंकड़े एकत्र कर के दिये जाते हैं, जनगणना,अर्थ गणना,पशु गणना, में भी इन्ही नौजवानों से मनरेगा में संपन्न कराया जा सकता है,का सुझाव अपने तत्कालीन सांसद,ग्राम्यविकास मंत्री को पंजीकृत डाक से भेजा गया था, किन्तु संज्ञान में नहीं लिया गया है।
आज जब कोरोना काल में लोग बेरोजगारी की मार सह रहे हैं में मनरेगा ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार पाने का एक अवसर प्रदान कर रहा है, को पुनः व्यापकता के साथ लागू करने का मौका है, इसमें योग्यता अनुसार कार्य लिया जा सकता है और, पंचायत की परिसंपत्तियों का निर्माण कराया जा सकता है।
इस मंच के द्वारा मैं पुनः यह प्रस्ताव कर रहा हूं, और अपेक्षा करता हूं, इस पर विचार कर इसे अपने सामर्थ्य के अनुसार अग्रसारित करने का प्रयास कर देश में बेरोजगार युवाओं को रोजगार का सृजन करने में सहायक हो सकता है। साभार जय कृष्ण उनियाल, पूर्व प्रधान, एवं सामाजिक कार्यकर्ता।