मनका छंद ….
मनका / वर्णिका छंद – तीन चरण, पाँच-पाँच वर्ण प्रत्येक चरण,दो चरण या तीनों चरण समतुकांत
मस्त जवानी
फिर न आनी
हसीं कहानी !
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आई बहार
अलि गुँजार
पुष्प शृंगार !
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झड़ते पात
अन्तिम रात
एक यथार्थ !
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मुक्त विहार
काम विकार
देह व्यापार!
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घोर अँधेरा
छुपा सवेरा
स्वप्न का डेरा !
सुशील सरना / 12-1-24