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22 Feb 2024 · 1 min read

बरसों बरस बाद प्रियतम के

मधु मालती सी खिली उठी
वो गौरइया सी चहक रही
घर आंगन से देहरी तक
वंदनवार सजाया है
बरसों बरस बाद प्रियतम के
आने का दिन जो आया है

रंगोली का रंग गालों से
बालों तक मचल रहा
कांधे का दुपट्टा लहराकर
पायल की धुन पर थिरक रहा
माथे के पसीने गालों पे लट ने
रूप को और संवारा है
बरसों बरस बाद प्रियतम के
आने का दिन जो आया है

सोचती बुनती खोयी सी
पुलकित मन से कुछ रूठी सी
जब आयेंगे छुप जाऊंगी
कुछ प्रेम में ग़ुस्सा दिखाऊंगी
झिड़की ताना सुनाऊंगी
मत आते क्यूं आये हो
तुमको किसने बुलाया है
बरसों बरस बाद प्रियतम के
आने का दिन जो आया है

(स्वरचित मौलिक रचना)
M.Tiwari”Ayan”

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 101 Views
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