बरसों बरस बाद प्रियतम के
मधु मालती सी खिली उठी
वो गौरइया सी चहक रही
घर आंगन से देहरी तक
वंदनवार सजाया है
बरसों बरस बाद प्रियतम के
आने का दिन जो आया है
रंगोली का रंग गालों से
बालों तक मचल रहा
कांधे का दुपट्टा लहराकर
पायल की धुन पर थिरक रहा
माथे के पसीने गालों पे लट ने
रूप को और संवारा है
बरसों बरस बाद प्रियतम के
आने का दिन जो आया है
सोचती बुनती खोयी सी
पुलकित मन से कुछ रूठी सी
जब आयेंगे छुप जाऊंगी
कुछ प्रेम में ग़ुस्सा दिखाऊंगी
झिड़की ताना सुनाऊंगी
मत आते क्यूं आये हो
तुमको किसने बुलाया है
बरसों बरस बाद प्रियतम के
आने का दिन जो आया है
(स्वरचित मौलिक रचना)
M.Tiwari”Ayan”