मधुशाला
विष का प्याला ये मधुशाला…. बीहड़ मन मे तिमिर उजाला, फूटा बन कर देखो छा ला, जीवन के संगीन नरक मे, कठिन बहुत है दुःख की ज्वाला, बंधन अब ज़ंजीर बन गये, थम गई देखो ये मधुशाला, बह जायेगा तिमिर उजाला, फूटेगी जब ये मधुशाला निकलेगा तब अमर उजाला, बंधन से छूटी मधुशाला, ओडे हुए देखो दोशाला तन्हा चल दी ये मधुशाला पग पग में चादर अंगारे, मुस्का चल दी रख पग मधुशाला, दुख से रोशन जो हो मधुशाला, वही बनेगा तिमिर उजाला, देखो देखो ये मधुशाला, अमृत बन गया, विष क्यों, अमर उजाला ये मधुशाला, तन्हा बीहड़ मन में उपजी, देखो कैसे ये मधुशाला दुख का प्याला ये मधुशाला, फैलायेगा अमर उजाला, ये मधुशाला… ये मधुशाला… ये मधुशाला।।