मधुशाला
विधाता छंद आधारित चतुष्पदी-
1222 1222 1222 1222
(1)__
पिये मदहोश मतवाला,गिराये गर्त ये हाला ।
बिगाड़े हाल सुख तन मन,अजब हैरान घरवाला ।
यहाँ लुढ़का वहाँ पुढ़का,समझ आये न पतनाला ।
गया पीकर पियक्कड़ जो, हजम वो ठाँव मधुशाला ॥
(2)__
अशुभ कोई नयन भीगे,डुबो कर चैन विष प्याला।
कुटिल कौशल तरे मद के ,अमंगल रूप घड़ियाला ।
बताना है कहाँ अच्छी,निगोड़ी घूँट विकराला।
दिखाओ क्लेश बिन हैं घर,कहीं निर्दोष मधुशाला ॥
________________अलका गुप्ता ‘भारती’___