मधुर मिलन
शाम रूमानी मौसम है
कोई प्रिया को पयाम दे आये
बैठे है राहगुजर में इंतिजार करते
वो दौड़ती हुई सज-धझ के पास आये
जुल्फ लहराए हँवा में
उनकी चुनर भी उड़ जाये
स्वागत के लिए बादल गरजे
रिमझिम-रिमझिम बरसात हो जाये
वो करीब आके चुनर मुझे ओढ़ाए
प्रित मधुर मिलन यादगार हो जाये
न हो हया आज कोई
दिल से दिल की बात हो जाये
मोर- मोरनी बन हम नाचते रहे
शाम ढल के चाहे रात क्यों न हो जाये
बदरा सावन में भीगते रहे मस्त-मगन
दुनियाँ को आज सारी हम भूल जाये
आ इक दूसरे में समा के आज हम
अपनी अमर प्रेम कहानी लिख जाये
न जियेंगे इक दूसरे के बिन कभी
आ आज हम दिल की धड़कन बन जाये