मधुर बरसात
घमस तपस मौसम में छाई, ठन्डे झोंको से चली पुरवाई,
शुरू हो गई अब देखो बरसात, तप्ती गर्मी से मिली निजात,
नभ में भूरे काले बादल, कभी बौछारें, कभी रिमझिम जल,
दौड़ रहे हैं पथिक छुपने, कुछ वर्षा में निकले नहाने,
मस्ती में बच्चों की टोली, युवती झूमे करे ठिठोली,
छोड़ के सारे कूलर पंखे, मस्त बहारों में मन उछले,
हाफ रही थी कोयल काली, आमों पर कूकी मतवाली,
मेंढक मौका चूक ना जाए, निकल जमी से ऊपर आए,
बादल की गड़-गड़ आवाज, सुन मोरों ने खोले कान,
पीकूं-पीकूं राग सुनाते, फिर संग,मयूरी नाच दिखाते,
धूल सने वृक्ष सूखे से, नहाकर झूमें हरे सजे से,
आम पके,जामुन है काली, आडू फूले डाली डाली,
आलू बुखारे भी गदराये, कच्चे नींबू रस भर आये,
चलती रहे “मधुर बरसात” सुख चैन से बीते दिन और रात ।।