मधुमाती होली
देखो रंग बसंती फागुन का,
बौर सुगंधी छाया अमुवन का,
चलो सखी जमुना तट पै,
संग ग्वाल बाल बंसीधर के।
वही खेल रहे होली रंग से,
कान्हा को मारे पिचकारी भर भर के,
हाथों से अबीब उड़ा जाता,
कुछ कान्हा का संदेश है लाता।
रंग बिरंगी सारी टोली सनी है,
नंदलला से सब गोपी रंगी है,
देख मधुमति होली को जमुना,
लहरों के संग संग कर रही नचना।
टेसू रंग मिल जस,खेली होली,
संतोषी भरो हर दिल मधु बोली,
गले मिलो सब द्वेष मिटा दो,
ब्रज होली का सबक सीखा दो।।