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14 Dec 2021 · 1 min read

मत सोच तू।

मत सोच तू कि अब तुझको बहुत देर हो गयी है।
बस मान ले यह अब यही से शुरुवात हो गयी है।।1।।

अच्छा हुआ जो तू भीड़ से अलग ही चल दिया।
चले थे इसमे जो उनकी पहचान खो गयी गई है।।2।।

छोड़ दे अब दुसरों की ऐसे ही परवाह करना तू।
ऐसे कामों से ही तेरी ज़िन्दगी बदनाम हो गयी है।।3।।

मिल जाए गर तू सफर में पहले चलने वालों से।
तो हंसते हुए कहना मेरी भी शुरुवात हो गयी है।।4।।

यह बिता हुआ वक्त ही तेरे काम आने वाला है।
मत बोलना ये ज़िन्दगी मेरी गुमनाम हो गयी है।।5।।

चहरों का रंग जब उड़ने लगे तुम्हारे रकीबों का।
तो समझना अब तुझसे तेरी पहचान हो गयी है।।6।।

मत करना तुम भरोसा अब यहां के बाशिंदों पर।
जब खुद की ही रूह खुद से बेईमान हो गयी है।।7।।

क्या सोचती है दुनियां तुम्हारे बारे में मत सोचना।
दुनियां की सोच में तेरी ज़िन्दगी बेजान हो गयी है।।8।।

लड़ना ना छोड़ने तुम बस लड़ते ही रहना यूँ ही।
हासिल हो जाएगी जल्द जो तेरी शान खो गयी है।।9।।

यह दौर है मुश्किलों का पर तुम अब टूटना नही।
माना कि किस्मत तेरी तुझसे अनजान हो गयी है।।10।।

तुझको तो पाना है बस जो तेरी किस्मत का है।
मानेगा एक दिन खुदाई तुझपे मेहरबान हो गयी है।।11।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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