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25 Jul 2021 · 1 min read

मत शरमाओ मुझ से

मत शरमाओ मुझ से (गज़ल)
***********************
***** 212 222 22 *****
**********************

क्या गिला है तुमको मुझ से,
क्यों खफ़ा यूं तुम हो मुझ से।

दूर रहती हो नजरों से,
क्या ख़ता फरमाओ मुझ से।

बात जो मन चुभती रहती,
आप मत शरमाओ मुझ से।

जान हो मेरे तन मन की,
यूं न तुम घबराओ मुझ से।

है समाया मनसीरत दिल में,
पर अलग ना जाओ मुझ से।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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