मत मचाओ तुम प्यार.का कहीं शोर
गर हो जाए प्यार तो बन जाओ चोर
मत मचाओ तुम प्यार का कहीं शोर
कहते हैं दीवारों के भी होते हैं कान
प्रेम भावनाओं की ना बजाओ तान
चक्रव्यूह में तुम फंस जाओगे घोर
मत मचाओ तुम प्यार का कहीं शोर
खोलोगे पत्ते तो हो जाओगे बदनाम
सच्चाप्रेम होगा अपमानित सरेआम
चुपके- चुपके नचाओ प्यार का मोर
मत मचाओ तुम प्यार का कहीं शोर
जालिम दुनिया प्यार ना सह पाती है
प्रेमी- परिंदों को जाल में फंसाती है
आलम नजर में तुम बन जाओगे चोर
मत मचाओ तुम प्यार का कहीं शोर
प्रेम भाव में उन्मादी हो जाता है प्रेमी
कुछ नजर ना आए,अंधे हो जाए प्रेमी
बनो तुम अनुरागी जैसे फूलों पर भौर
मत मचाओ तुम प्यार का कहीं शोर
प्रेम रस में मचले तनबदन अंग प्रत्यंग
हवा में उड़ते फिरो जैसे नभ में पंतग
प्रेम रंग में नाचों जैसे नाचे वन में मोर
मत मचाओ तुम प्यार का कहीं शोर
गर हो जाए प्यार तो बन जाओ चोर
मत मचाओ तुम प्यार का कहीं शोर
-सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
9896872258