मत भूल खुद को!
मत भूल खुद को
मत सोच, कि तू अकेला है
जहाँ तू फंसा है वह जाल कुछ पल का है
काले मेघ का साया
विशाल है तो क्या?
हर रात के बाद सवेरा है
तू बस हिम्मत मत हार
अपनी लाचारी पर बेबस ना बन
थोड़ी देर थम जा!
अपनी गम की ओखली
किसी को सुना जा
उसे खाली कर जा
तू ना हार मान
तू बन जा अर्जुन
अपने गांडीव की टंकार से
लड़ जा यह महाभारत
ना बन बुजदिल इस दौर में
बस थोड़ी देर थम जा
पहचान बनी है तेरी
बस छींटे पड़ी है उसपे
तेरी कमजोरी की, परेशानी की!!!!
उसे पोंछ डाल
खुद को तराश
बस भूल खुद को
अपने अस्तित्व को
ना
मिटा
खुद
को!
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सुएता दत्त चौधरी
-फीजी 🇫🇯