“मत भूलना”
तुम भूलना सब कुछ मगर, माँ बाप को मत भूलना।
कर्ज़ा बहोत माँ बाप का ,सिर पर चढ़ा मत भूलना।
माँ ने सिखाया बैठना तो, तू लुढ़क गिर जाता था,
फिर बोलना चलना सिखाया,वह समय मत भूलना।
बाजार के सारे खिलौने ,देख जब तू बिलखता,
झट से खिलौने हाथ मे ,बाबा ने जब तेरे दिए,
तुम भूलना सब कुछ मगर ,उस स्नेह को मत भूलना।
है धन कमाया बहोत ,माँ बाप को सुख न दिया,
धिक्कार है ऐसी कमाई, बात यह मत भूलना।
धन से मिले जग की वस्तुएं, माता-पिता मिलते नहीं,
घर नही वह अरण्य हैं, माँ बाप जहाँ बसते नहीं।
तुम भूलना सब कुछ मगर ,माँ बाप को मत भूलना,
फिक्र माँ के प्रेम में, पिता के डांट में स्नेह छुपा,
तुम रौंदना मत कलेजे, उनसे बड़ा नही कोई दूजा।
तुम भूलना सब कुछ मगर , माँ बाप को मत भूलना।
कर्ज़ा बहोत माँ बाप का,सिर पर चढ़ा मत भूलना।