Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jan 2022 · 1 min read

मत ज़हर हबा में घोल

वंदे आंखें खोल रे, मत ज़हर हबा में घोल रे
हबा है तेरी जीवन रेखा, क्यों न जाने मोल रे
काट रहा नित पेड़ पुराने, क्यों न पेड़ की महिमा जाने
काट रहा क्यों उस डाली को, जिसमें तेरी जान रे
कुदरत के संग रहना वंदे,खुदा का है पैगाम रे
जल जंगल जमीन हैं वंदे,कुदरत का ईनाम रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
4 Likes · 8 Comments · 353 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
महाराष्ट्र की राजनीति
महाराष्ट्र की राजनीति
Anand Kumar
अब तू किसे दोष देती है
अब तू किसे दोष देती है
gurudeenverma198
रिश्ता
रिश्ता
Dr fauzia Naseem shad
इस उजले तन को कितने घिस रगड़ के धोते हैं लोग ।
इस उजले तन को कितने घिस रगड़ के धोते हैं लोग ।
Lakhan Yadav
गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*नारियों को आजकल, खुद से कमाना आ गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*नारियों को आजकल, खुद से कमाना आ गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
लिखना है मुझे वह सब कुछ
लिखना है मुझे वह सब कुछ
पूनम कुमारी (आगाज ए दिल)
पिटूनिया
पिटूनिया
अनिल मिश्र
सुंदर शरीर का, देखो ये क्या हाल है
सुंदर शरीर का, देखो ये क्या हाल है
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
Taj Mohammad
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रमेशराज के विरोधरस दोहे
रमेशराज के विरोधरस दोहे
कवि रमेशराज
प्रेम
प्रेम
Prakash Chandra
पते की बात - दीपक नीलपदम्
पते की बात - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
Krishna Manshi
"अन्तरात्मा की पथिक "मैं"
शोभा कुमारी
आत्मसंवाद
आत्मसंवाद
Shyam Sundar Subramanian
एक व्यथा
एक व्यथा
Shweta Soni
चिन्ता
चिन्ता
Dr. Kishan tandon kranti
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
असली जीत
असली जीत
पूर्वार्थ
नदी से जल सूखने मत देना, पेड़ से साख गिरने मत देना,
नदी से जल सूखने मत देना, पेड़ से साख गिरने मत देना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
'प्रहरी' बढ़ता  दंभ  है, जितना  बढ़ता  नोट
'प्रहरी' बढ़ता दंभ है, जितना बढ़ता नोट
Anil Mishra Prahari
" पुराने साल की बिदाई "
DrLakshman Jha Parimal
गर समझते हो अपने स्वदेश को अपना घर
गर समझते हो अपने स्वदेश को अपना घर
ओनिका सेतिया 'अनु '
पिछले पन्ने भाग 1
पिछले पन्ने भाग 1
Paras Nath Jha
कहाॅं तुम पौन हो।
कहाॅं तुम पौन हो।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
🙅POK🙅
🙅POK🙅
*प्रणय प्रभात*
अरे ! मुझसे मत पूछ
अरे ! मुझसे मत पूछ
VINOD CHAUHAN
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loading...