मत्तगयंद सवैया
211 211 211 211, 211 211 211 22
भूल गए जब जन्म हुआ तब, देख पिता सुत को हर्षाये।
देख सकें न दुखी सुत को पितु, दौलत प्यार दुलार लुटायें।
लेकिन आज जवान हुये सुत, मातु पिता पर क्रोध दिखायें।
क्या अहसान किया तुमने कहके सुत उनपे हाथ उठायें।