मतिभ्रष्ट
हे ईश्वर ! आज के मानव को ये क्या हो गया है ?
वह तुम्हारे अस्तित्व को बांटकर देखने के लिए उद्यत हो गया है ,
उसे कौन बताऐ राम और रहीम एक ही हैं ,
कृष्ण और करीम कोई दो नहीं हैं ,
उसे कौन समझाए निर्गुण निराकार परमब्रह्म एक ही परमात्मा है,
जो सब के कर्मो के फल का निर्णायक भाग्य विधाता है,
तुम्हारे अस्तित्व को बांटने के भ्रम में वह उलझ कर रह गया है ,
मतिभ्रष्ट हो , अपनी आत्मिक शांति खोकर विनाश के कगार पर जा खड़ा हुआ है ।