मतलब का सब नेह है
मतलब का सब नेह है
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मतलब का सब नेह है,मतलब का सब प्यार।
मतलब से ही हो रहे, सकल कार व्यवहार।।
मतलब से ही बोलते, बड़े मतलबी लोग।
मतलब बिन कब फटकते, ऐसा लागा रोग।।
मतलब पूरा हो नहीं, हो जाते नाराज।
मतलब से ही हो सदा, यारी का आगाज।।
मतलब पूरा हो गया, फिर कहते तू कौन।
मतलब से ही बोलते, वरना रहते मौन।।
मतलब से बन आपणे, कहलाते हैं यार।
मतलब बिन मिलते नहीं,मतलब के किरदार।।
लाड – चाव से पालती, साचा माँ का प्यार।
बिन मतलब के चाहती, माँ है सिरजनहार।।
मतलब ‘सिल्ला’ से पड़े, करें दिखावा मीत।
बारी जब सहयोग की, बजे अलग ही गीत।।
-विनोद सिल्ला