मतदान
लोकतंत्र में चुनाव,चुनाव में मतदान,
नेता का तो पता नहीं,पिस जाता आम इंसान।
जो भी आता वोट माँगने , करता बातें बड़ी – बड़ी,
किसको चुनू? वोट दूँ?अजीब विपदा आन पड़ी।
मैं न जानूँ राजनीति,न राजनीति की टेक,
पर इतना पता है मुझे,वोट पर मेरी होगी वेट।
सोचा मेैं भी रौब जमा लूँ,थोड़ी अपनी धौंस जमा दूँ,
चुनाव बाद न पूछे कोई,थोड़ी आवभगत करा लूँ।
जो न कभी जानता था ,वो भी सगों से बढ़कर ,
वोट डालने ले जाने को,गाड़ी आती अब घर पर।
खाना पीना सब मिलता, आश्वासन का भंडार,
वोट डालने के चक्कर में,बन जाते हम सरकार।
हमको उल्लू वो बनाते,हम हैं उनके भी बाप,
पढ़े लिखे चाहे हम नहीं,वोट -कीमत जाने आप।
उनकी चिकनी बातों का,देते चिकना सा जवाब,
लोकतंत्र की प्रजा का,होता वोट पेच -दाब ।
एक दिन के राजा बनकर,वोट डालने गये हम भाई,
कोई कुछ भेजे कहकर,मत से मत दे आए भाई।
लोकतंत्र है यह हमारा,हमसे ही सफल सरकार,
प्रतिनिधि होगा हमारा, निस्वार्थ- सेवा बरकरार ।
नीरजा शर्मा