Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Feb 2024 · 1 min read

आजादी दिवस

आया आजादी दिवस, है आज पन्द्रह अगस्त।
भेद-भाव को भूल कर, हो जाये सब मस्त।।

जन-गन-मन के गान से, झंकृत मन का तार।
आज सजी माँ भारती, कर सोलह श्रृंगार।।

देख तिरंगा गगन में, खुद पर करूँ गुमान।
सिर नतमस्तक हो उठे, भारत देश महान।।

रंग तिरंगा विश्व को, दिया सत्य संदेश।
ऐसा भारत देश है, जिसकी धरा विशेष।।

हरी-भरी वसुधा रहे, मुस्काता आकाश।
कुछ ऐसा मिलकर करे, जगमग हो इतिहास।।

अनेकता में एकता, रही देश की शान।
भारतीय हैं सिर्फ हम, यह अपनी पहचान।।

दिल से हम सब एक है, एक हमारी जान।
माँ कहलाती ये धरा, हम इनकी सन्तान।।

गंगा जमुना नर्मदा, मंदिर मस्जिद संग।
सत्यमेव जयते जहाँ, प्रेम शांति का रंग।।

कह देना काफी नहीं, देश हमारा मान।
फर्ज निभाओ तुम सदा, बनो देश की शान।।
-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
40 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
संस्कार
संस्कार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मुझे चाहिए एक दिल
मुझे चाहिए एक दिल
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्रायश्चित
प्रायश्चित
Shyam Sundar Subramanian
कैसे कहूँ किसको कहूँ
कैसे कहूँ किसको कहूँ
DrLakshman Jha Parimal
ये क़िताब
ये क़िताब
Shweta Soni
बारिश और उनकी यादें...
बारिश और उनकी यादें...
Falendra Sahu
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हटा 370 धारा
हटा 370 धारा
लक्ष्मी सिंह
*वरद हस्त सिर पर धरो*..सरस्वती वंदना
*वरद हस्त सिर पर धरो*..सरस्वती वंदना
Poonam Matia
पर्यायवरण (दोहा छन्द)
पर्यायवरण (दोहा छन्द)
नाथ सोनांचली
चंदा का अर्थशास्त्र
चंदा का अर्थशास्त्र
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"वृद्धाश्रम"
Radhakishan R. Mundhra
💐प्रेम कौतुक-172💐
💐प्रेम कौतुक-172💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
लावनी
लावनी
Dr. Kishan tandon kranti
" ज़ख़्मीं पंख‌ "
Chunnu Lal Gupta
आज फिर किसी की बातों ने बहकाया है मुझे,
आज फिर किसी की बातों ने बहकाया है मुझे,
Vishal babu (vishu)
वह दे गई मेरे हिस्से
वह दे गई मेरे हिस्से
श्याम सिंह बिष्ट
■ प्रभात वन्दन
■ प्रभात वन्दन
*Author प्रणय प्रभात*
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
surenderpal vaidya
पहले तेरे हाथों पर
पहले तेरे हाथों पर
The_dk_poetry
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ओसमणी साहू 'ओश'
3256.*पूर्णिका*
3256.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*टैगोर शिशु निकेतन *
*टैगोर शिशु निकेतन *
Ravi Prakash
"कभी मेरा ज़िक्र छीड़े"
Lohit Tamta
हरे भरे खेत
हरे भरे खेत
जगदीश लववंशी
एक एहसास
एक एहसास
Dr fauzia Naseem shad
" यह जिंदगी क्या क्या कारनामे करवा रही है
कवि दीपक बवेजा
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
चाँद से वार्तालाप
चाँद से वार्तालाप
Dr MusafiR BaithA
रूपसी
रूपसी
Prakash Chandra
Loading...