मतदान
कुछ तो खासियत है, इस प्रजातंत्र में,
कुछ तो बात है, इस करामाती मंत्र में !
वोट देता हूँ फकीरों को, कमबख्त शहंशाह बन जाते है !!
और हम हर बार, वहीँ के वहीँ रह जाते हैं,
रह जाते हैं हम हर बार, ऊँगली रंगाने के लिए !
नए फकीरों को फिर, शहंशाह बनाने के लिए !
विनय पान्डेय
कटनी