मतदान (कविता)
मतदान
प्रजातंत्र में पर्व बड़ा यह,
मतदान राष्ट्र की पूजा है।
ऊच नीच व जाति भेद का,
स्थान नहीं कोई दूजा है।
सबको अवसर सबकी इच्छा,
किसे किसको चुनना है।
कोई जीते चाहे कोई हारे,
मतदान सभी को करना है।
ईमान धरम की होगी परीक्षा,
लोभ-लालच में नहीं पड़ना है।
स्वतंत्र मत का मतलब यही,
मन से ही मतदान करना है।
राष्ट्र भक्ति व देश भक्ति का,
हम सबको फर्ज निभाना है।
मौलिक अधिकार हमारा,
मतदान सभी को करना है।
अमर शहीदों के सपनों का,
भारत देश बनाना है।
प्रजातंत्र को मिले सफलता,
मतदान प्रतिशत बढ़ाना है।
हवा चले किसी पक्ष की,
निष्पक्ष हमें मत देना है।
राजा नहीं सेवक चुनने हित,
मतदान सभी को करना है।
राजेश कौरव (सुमित्र)