मणिपुर घटना पर रचना
मणिपुर घटना पर
रचना
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मणिपुर घटना से, हृदय छलनी हुआ,
ऐसा विकराल रूप देख मानव का
देश शर्मसार हुआ?
ऐसे पुरुष जाति पर धिक्कार है,
नारी को देखें जो बुरी नजरों से –
चीर हरण करते उसका ,जो जन्म
दात्री नारी है!
वर्षों पहले चीर द्रोपदी का हरा था,
इज्जत तार -तार हुई इक नारी की–
भरी सभा में दुशासन,बाल घसीट लाया था?
सुनों बेटियों तुम शस्त्र उठा लो,
तुमको कोई नहीं बचाएगा।
तुम ही काली, चण्डी बन जाओ,
कोई हैवान तुमको, फिर न छू पाएगा?
ऐसे असुरों का तुमको,मर्दन करना होगा-
अपनी रक्षा खुद करके तुमको —
रणचंडी, शक्ति स्वरूपा नारी
बनना होगा?
तुम्हारी भी मां,बहन, बेटी होंगी,
फिर क्यों ! नहीं कांपे तुम्हारे हाथ।
एक पल को ध्यान नहीं, मेरी भी मां,
बहनें हैं—
फिर भी ऐसा घृणित कृत्य किया
बेटियों के साथ?
हवाएं भी रोई, बेटियों के क्रंदन से,
उनकी चीख पुकार से,वृक्ष,पुष्प
भी रोए हैं।
मानव का ऐसा वीभत्स रूप देखकर —
जगत के पालनहार भी रोए हैं?
लेकिन!अब बहुत अत्याचार हुआ,
अब और सहन नहीं होगा।
किसी नारी पर , बुरी नजर रखने वाले –
सबक सिखाने के लिए,उसका सर
कलम करना होगा।
फिर कोई ऐसी धृष्टता न करे,
कभी किसी बेटियों पर।
मानव को ऐसे घृणित कृत्यों की —
कठोर से कठोर सजा मिले धरा पर?
सुषमा सिंह*उर्मि,,