Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2020 · 1 min read

मदिरा मजबूरी या जरूरी

कभी न देखी , सुनी कभी न , ऐसी विपदा भारी //
युक्ति और तदबीर निकाली जितनी भी थी सारी //
रखना है सबको सुरक्षित और सबको समझाना //
भरना भी जरूरी है जो खाली हुआ खजाना //
सरकारें तुरंत एक हुई मिला फिर नया बहाना //
चालीस दिनों से बंद पड़ा था वीराना – मैखाना //
खोल दिया उन सबकी खातिर जो है उन्हें पसंद //
एक झटके में टूट गया जो था अब तक बंद //
करोड़ों की बिक्री हुई और प्रसन्न हुआ प्रशासन //
चाहे न हो सामाजिक दूरी टूटे चाहे अनुशासन //
धर्म , नीति , सिद्धांत , सुचिता धरे रह गए सारे //
अर्थ नीति की विवशता ने जब अपने पैर पसारे //
जिस जनता के लिए ही चला करता है प्रशासन //
जनता का जनता के द्वारा जनता का है शासन //
जनता का ही राज है तो जनता को दांव लगाएं //
जिसने सुविधा ली है अब उससे ही अर्थ कमाएं //
अब चाहे जो भी हो इस मजबूरी का परिणाम //
खुशी -खुशी मैकश भी देता मदिरा के ऊंचे दाम //
मजे की मजबूरी है और मदिरा भी जब जरूरी है //
इतना ध्यान भी देना कि रखना सामाजिक दूरी है //
पीने -पिलाने वाले खुश हैं किसको क्या समझाएं //
अब तो इस विपदा भारी से प्रभु ही पार लगाएं ।।

अशोक सोनी
भिलाई ।

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 4 Comments · 499 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" दरअसल "
Dr. Kishan tandon kranti
पंचांग के मुताबिक हर महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोद
पंचांग के मुताबिक हर महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोद
Shashi kala vyas
कितना प्यार
कितना प्यार
Swami Ganganiya
মা মনসার গান
মা মনসার গান
Arghyadeep Chakraborty
तुझे खो कर तुझे खोजते रहना
तुझे खो कर तुझे खोजते रहना
अर्चना मुकेश मेहता
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
सत्य कुमार प्रेमी
*बचकर रहिएगा सॉंपों से, यह आस्तीन में रहते हैं (राधेश्यामी छंद
*बचकर रहिएगा सॉंपों से, यह आस्तीन में रहते हैं (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
बारम्बार प्रणाम
बारम्बार प्रणाम
Pratibha Pandey
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता
Sonam Puneet Dubey
*वो मेरी जान, मुझे बहुत याद आती है(जेल से)*
*वो मेरी जान, मुझे बहुत याद आती है(जेल से)*
Dushyant Kumar
#धर्मपर्व-
#धर्मपर्व-
*प्रणय*
तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम
तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम
शेखर सिंह
घनाक्षरी
घनाक्षरी
Suryakant Dwivedi
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
एक और बलात्कारी अब जेल में रहेगा
एक और बलात्कारी अब जेल में रहेगा
Dhirendra Singh
*हो न लोकतंत्र की हार*
*हो न लोकतंत्र की हार*
Poonam Matia
बाण मां रा दोहा
बाण मां रा दोहा
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
चांदनी रात में बरसाने का नजारा हो,
चांदनी रात में बरसाने का नजारा हो,
Anamika Tiwari 'annpurna '
दोस्त
दोस्त
Neeraj Agarwal
क्या हुआ की हम हार गए ।
क्या हुआ की हम हार गए ।
Ashwini sharma
ENDLESS THEME
ENDLESS THEME
Satees Gond
4389.*पूर्णिका*
4389.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जो दुआएं
जो दुआएं
Dr fauzia Naseem shad
कुंडलिया
कुंडलिया
गुमनाम 'बाबा'
"हमारे दर्द का मरहम अगर बनकर खड़ा होगा
आर.एस. 'प्रीतम'
*संवेदना*
*संवेदना*
Dr. Priya Gupta
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
इजोत
इजोत
श्रीहर्ष आचार्य
क्यों सिसकियों में आवाज को
क्यों सिसकियों में आवाज को
Sunil Maheshwari
Khwahish jo bhi ho ak din
Khwahish jo bhi ho ak din
Rathwa Dipak Dipak
Loading...