मजेदार है जीवन
मजेदार है जीवन अपना, जीवन जीना है आसान
परमात्मा की अनुकम्पा से, हम पर बरस रहे वरदान
शरण गहें हम परमात्मा की, इससे बड़ा न कोई ज्ञान
वह चाहता तभी बन पाती, मानव की जग में पहचान
लगता सब अच्छी चीजों के, हम ही सर्वोपरि हकदार
एक-एक कर सारी निधियां, हमको ही हैं रही पुकार
सिवा हमारे अन्य न कोई, इन निधियों का दावेदार
सबसे अपना प्रेम अगर तो, अपना है सारा संसार
कभी नियम में चूक न होती, आकर्षण का नियम सटीक
आंख मूंदकर मुसकाएं हम, सोचें सब कुछ होगा ठीक
आम आदमी-से न बनें हम, चलें सदैव त्याग कर लीक
डरें न कभी नया करने से, कदम बढ़ाएं हो निर्भीक
जागरूक जीवन जीकर हम, कर सकते अपना कल्याण
चलते-चलते सहज भाव से, कर सकते भविष्य निर्माण
सारे संकट टल जाएंगे, बाधाएं होंगी म्रियमाण
पलक झपकते मिल जाएगा, हर उलझन-अड़चन से त्राण
महेश चन्द्र त्रिपाठी