मजा आता है पीने में
वफा कोई बेवफा निकले, तो आग लगती है सीने में
भरा दिल हो अगर गम से, तो मजा आता है पीने में।
जिसे पाने की हो चाहत, जिसे खोने का डर दिल में
लिया गर नाम इस लव पे, वही बदनाम महफिल में
बरसना आम होता है, सावन के महीने में ।
वफा कोई बेवफा………
बताना क्या समझते सब, इन आंखो का नम होना
झलक जाता है चेहरे पे, हसी पीछे का गम होना
है मंजिल दूर अब कितना, पता चलता पसीने में।
वफा कोई बेवफा……….
✍️ बसंत भगवान राय