#मज़दूर
#मज़दूर
मैं हूं मज़दूर,
मेहनत करना
मेरी शान।
दिनचर्या में शामिल,
सुबह से शाम।
जब भी थक जाता,
दोस्त बन जाती
पेड़ो की छांव।
मैं मज़दूर,
भले ही खाता,
नमक संग रोटी।
श्रम कर,
अपना जीवनयापन
करता।
प्रसन्नता से करता,
मैं यह काम।
सुख सुविधा से,
युक्त नहीं जीवन मेरा।
मेरा तो बसेरा,
मेरा छोटा सा गांव।
खटिया पर सो जाता,
गमछा मेरी शान।
गरीब हूं,
पर हूं खुद्दार।
बेईमानी से,
नहीं मेरा नाता।
मेरा कमाया धन है,
मेरे माथे का पसीना।
छल से नहीं,
श्रम से कमाकर
दिखाता अपनी शान।
डॉ प्रिया।
अयोध्या।