Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jul 2021 · 1 min read

मजहब

कोई मुझसे पूछे तेरा मजहब क्या है ?
मैं कहूं गर इंसानियत तो खता क्या है ?

मैं मंदिर भी जायूँ और मस्जिद में भी ,
गिरिजाघर और गुरुद्वारे में फर्क क्या है ?

खुदा ही भेस बदलकर बैठा सब जगह ,
ये सभी तो घर उसी के ,और घर क्या है ?

फूलों ने खुद को खुदा के नजर करना है,
कोई पूछता है की इनका मजहब क्या है ?

अब मस्जिद में चादर,मंदिर में ओढ़नी चढ़े,
मकसद उसे नवाजने के सिवा और क्या है ?

इबादत दिल से होनी चाहिए चाहे जैसे हो ,
मतलब उसे याद करने है और भला क्या है ?

ईद में मैं सेवियां खायूं और नवरात्रों में खीर ,
क्रिसमस में केक, गुरुपर्व में हलवा हर्ज़ क्या है ?

वतन में सभी बंधके रहे एकता की डोर में,
इससे जायदा मुहोब्बत की मिसाल क्या है ?

वैसे भी सारे मजहब खुदा ने तो नही बनाए ,
तुम तोड़ दो बीच की दीवार फिर बात क्या है !

अब मान भी जाओ सब उसी की औलादें है ,
रूह सबमें एक जैसी लहू के रंग में फर्क क्या है ?

“अनु ” की जिंदगी का एक ही ख्वाब है एकता,
खुदा के हुजूर में की गई इससे बड़ी दुआ क्या है ?

3 Likes · 10 Comments · 551 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
दोहा-प्रहार
दोहा-प्रहार
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
उम्मीद
उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
Atul "Krishn"
ग़ज़ल _गई अब वो गर्मी 🌹🌾
ग़ज़ल _गई अब वो गर्मी 🌹🌾
Neelofar Khan
वतन-ए-इश्क़
वतन-ए-इश्क़
Neelam Sharma
"लाचार मैं या गुब्बारे वाला"
संजय कुमार संजू
*बेटियॉं कठपुतलियॉं हरगिज नहीं कहलाऍंगी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*बेटियॉं कठपुतलियॉं हरगिज नहीं कहलाऍंगी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
आ बैठ मेरे पास मन
आ बैठ मेरे पास मन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दो जून की रोटी
दो जून की रोटी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
"कर्म में कोई कोताही ना करें"
Ajit Kumar "Karn"
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
न जाने क्यों ... ... ???
न जाने क्यों ... ... ???
Kanchan Khanna
प्रतिध्वनि
प्रतिध्वनि
पूर्वार्थ
😊आज का सच😊
😊आज का सच😊
*प्रणय*
उसकी गलियों में कदम जब भी पड़े थे मेरे।
उसकी गलियों में कदम जब भी पड़े थे मेरे।
Phool gufran
*** होली को होली रहने दो ***
*** होली को होली रहने दो ***
Chunnu Lal Gupta
वफ़ा की परछाईं मेरे दिल में सदा रहेंगी,
वफ़ा की परछाईं मेरे दिल में सदा रहेंगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
Manju sagar
अपना सब संसार
अपना सब संसार
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कहते हैं तुम्हें ही जीने का सलीका नहीं है,
कहते हैं तुम्हें ही जीने का सलीका नहीं है,
manjula chauhan
3964.💐 *पूर्णिका* 💐
3964.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
पास तो आना- तो बहाना था
पास तो आना- तो बहाना था"
भरत कुमार सोलंकी
आवो मिलकर बनायें हम हरियाला राजस्थान
आवो मिलकर बनायें हम हरियाला राजस्थान
gurudeenverma198
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
Nazir Nazar
जख्म हरे सब हो गए,
जख्म हरे सब हो गए,
sushil sarna
स्क्रीनशॉट बटन
स्क्रीनशॉट बटन
Karuna Goswami
लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से
लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से
अंसार एटवी
अवधपुरी की पावन रज में मेरे राम समाएं
अवधपुरी की पावन रज में मेरे राम समाएं
Anamika Tiwari 'annpurna '
दौलत -दौलत ना करें (प्यासा के कुंडलियां)
दौलत -दौलत ना करें (प्यासा के कुंडलियां)
Vijay kumar Pandey
Loading...