मजहब के नाम पर इंसानी खून
मजहब के नाम पर बैर, वन्दे नहीं है खैर
इंसानी मार-काट,सब है बेकार
हिंसा द़ेष तकरार,क्यों है बरकरार
क्यों है आतंक दुनिया में?
क्यों बहाते हो इंसानी खून बार बार?
इसलाम आतंकवाद को दे चुका नाजायज करार
ठहराया है नाजायज हर बार।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी