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11 Oct 2023 · 1 min read

मजबूर हूँ यह रस्म निभा नहीं पाऊंगा

मजबूर हूँ यह रस्म, निभा नहीं पाऊंगा।
कुछ भी समझ लो,साथ नहीं दे पाऊंगा।।
ऐसा नहीं कि बेखबर मैं बहुत तुमसे हूँ।
करना मुझको माफ तू , मैं नहीं आ पाऊंगा।।
मजबूर हूँ यह रस्म————————।।

सिखाया नहीं है मुझको, किसी ने ऐसा कुछ।
सीखा दिया है मुझको, जिंदगी ने ही सब कुछ।।
लेकिन तुमको खुश अब , मैं नहीं कर पाऊंगा।
मजबूर हूँ यह रस्म————————।।

जो कर्ज है मुझ पर, चुकाना है मुझको ही।
जो बोझ है मुझ पर, उठाना है मुझको ही।।
अब कर्ज मैं किसी से, यह नहीं ले पाऊंगा।
मजबूर हूँ यह रस्म————————।।

कब तक करुँ दफन मैं, अपने सपनों को।
कब तक दबाये रखूँ मैं, अपने अरमानों को।।
इम्तिहान अब ऐसा कभी, मैं नहीं दे पाऊंगा।
मजबूर हूँ यह रस्म————————–।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा ऊर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
340 Views

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