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30 Apr 2020 · 1 min read

मजबूर मजदूर

चले वे सहर में ही शहर के लिए।
रखे संग भोजन दोपहर के लिए।
तलाशे थे वे दिनभर न रोज़ी मिला-
चले खाली ही हाथ वे घर के लिए।

Language: Hindi
1 Like · 237 Views
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