Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2024 · 1 min read

मजदूर

संख्या मे हम भारी हैं,
समूहों में भी हम कम नहीं ,
हमारे ही शक्तिबल से अन्न उपजे,
हमारे संकट में कोई हमें न पूछे,
एक कहावत है,
टूटा हुआ ढोल कौन बजाता है ।

पाञ्चजन्य हम हैं,
हाथों में दश हम,
मनसुन बर्से,
खेतों में बाढ़
न हल, न बीज,
घर मे सभी बंधक,
भूख से बालगोपाल तडप रहा है ।

अन्न उबारते हम हैं,
भण्डार भी करते हम ,
सूखड होते ही ,
मजदूर को कौन पूछे,
पेट की गठरी कौन खोले,
मालिक के खलिहान में चूहे का ताण्डप,
बेचारे श्रमिक अन्न भोग से बञ्चित है ।

#दिनेश_यादव
काठमाडौं (नेपाल)

Language: Hindi
1 Like · 113 Views
Books from Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
View all

You may also like these posts

मुक्तक
मुक्तक
पंकज परिंदा
खर्राटे
खर्राटे
Mandar Gangal
यूं ही नहीं कहते हैं इस ज़िंदगी को साज-ए-ज़िंदगी,
यूं ही नहीं कहते हैं इस ज़िंदगी को साज-ए-ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Let us converse with ourselves a new this day,
Let us converse with ourselves a new this day,
अमित
भोर
भोर
Kanchan Khanna
"ईमानदारी"
Dr. Kishan tandon kranti
एक पल को न सुकून है दिल को।
एक पल को न सुकून है दिल को।
Taj Mohammad
यादों के शहर में
यादों के शहर में
Madhu Shah
हमारे अंदर बहुत संभावना मौजूद है हमें इसे खोने के बजाय हमें
हमारे अंदर बहुत संभावना मौजूद है हमें इसे खोने के बजाय हमें
Ravikesh Jha
*बादल छाये नभ में काले*
*बादल छाये नभ में काले*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सपनों का ताना बना बुनता जा
सपनों का ताना बना बुनता जा
goutam shaw
वृक्ष लगाना भी जरूरी है
वृक्ष लगाना भी जरूरी है
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
Manisha Manjari
भोले
भोले
manjula chauhan
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
माना डगर कठिन है, चलना सतत मुसाफिर।
माना डगर कठिन है, चलना सतत मुसाफिर।
अनुराग दीक्षित
चमचा चमचा ही होता है.......
चमचा चमचा ही होता है.......
SATPAL CHAUHAN
ग़म-ए-दिल....
ग़म-ए-दिल....
Aditya Prakash
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
Buddha Prakash
अच्छे कर्म का फल
अच्छे कर्म का फल
Surinder blackpen
नर हो न निराश
नर हो न निराश
Rajesh Kumar Kaurav
गर्म दोपहर की ठंढी शाम हो तुम
गर्म दोपहर की ठंढी शाम हो तुम
Rituraj shivem verma
गंगा से है प्रेमभाव गर
गंगा से है प्रेमभाव गर
VINOD CHAUHAN
लड़की की कहानी पार्ट 1
लड़की की कहानी पार्ट 1
MEENU SHARMA
शे
शे
*प्रणय*
*लय में होता है निहित ,जीवन का सब सार (कुंडलिया)*
*लय में होता है निहित ,जीवन का सब सार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सुधार का सवाल है
सुधार का सवाल है
Ashwani Kumar Jaiswal
माँ बाप खजाना जीवन का
माँ बाप खजाना जीवन का
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
दोहा पंचक. . . . . हार
दोहा पंचक. . . . . हार
sushil sarna
भूमिका
भूमिका
अनिल मिश्र
Loading...